Sunday, December 6, 2009

भागीरथी भाग २

लाके दो ऐसा श्वेत अश्व, जो पवन गति से दौड़ेगा
हो पवन पुत्र सा बल जिसमे, जो अहम् सभी का तोड़ेगा
गर्जन जो जाये अम्बर तक, सुन रजवाड़े हों नतमस्तक
फिर लगा तिलक उस अश्व को,  जिसके पैरों की चाप तले,
सीमा साम्राज्य की आगे बढे,  और सूर्यवंश का नाम फले

धरती के सारे कोनों में, कदमो की छाप छोड़  दे तू
संसार  के हर एक मार्ग को, कोसला की ओर मोड़ दे तू
मेरा प्रतीक तू बन के जा, समूची धरती को नाप के आ
घोड़े को कर यूँ  उत्साहित, राजा ने फिर शंखनाद किया 
और विश्व विजय पाने  के लिए, अश्वराज को छोड़ दिया